Biography of Bhagat Singh in Hindi भगत सिंह की जीवनी : एक क्रांतिकारी नायक
भारत के एक प्रसिद्ध क्रांतिकारी भगत सिंह का जन्म 27 सितंबर, 1907 को लायलपुर जिले के बंगा गांव में हुआ था (जो अब पाकिस्तान का हिस्सा है)। उनका परिवार राजनीतिक गतिविधियों में गहराई से शामिल था, उनके पिता किशन सिंह और चाचा अजीत सिंह और स्वर्ण सिंह सभी ने ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन के खिलाफ लड़ाई में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। उनकी माँ विद्यावती कौर ने उन्हें बहादुरी और अपने देश के प्रति प्रेम के मूल्यों से परिचित कराया। भगत सिंह ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा स्थानीय गाँव के स्कूल में प्राप्त की और बाद में लाहौर के दयानंद एंग्लो वैदिक हाई स्कूल में दाखिला लिया।
- नाम: अवुल पकिर जैनुलाब्दीन अब्दुल कलाम (डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम)
- उपनाम: मिसाइल मैन
- व्यवसाय: इंजीनियर, वैज्ञानिक, लेखक, प्रोफेसर, राजनीतिज्ञ
- जन्म तिथि: 15 अक्टूबर 1931
- जन्म स्थान: धनुषकोडी गांव, रामेश्वरम, तमिलनाडु
- पिता का नाम: जैनुल्लाब्दीन
- माता का नाम: असीम्मा
- डॉ. कलाम का निधन: 27 जुलाई 2015, शिलांग, मेघालय
- राष्ट्रपति: 11 वें (25 जुलाई 2002 – 25 जुलाई 2007)
- सम्मान: पद्म भूषण, पद्म विभूषण, भारत रत्न आदि
- आत्मकथा: विंग्स ऑफ फायर: एन ऑटोबायोग्राफी
जलियांवाला बाग हत्याकांड से प्रेरणा और प्रारंभिक सक्रियता
1919 के जलियांवाला बाग हत्याकांड ने भगत सिंह को बहुत प्रभावित किया और उनके विश्वासों और लक्ष्यों पर इसका स्थायी प्रभाव पड़ा। जब वे केवल 12 वर्ष के थे, तो उन्होंने उस दुखद घटना स्थल का दौरा किया और बहादुर शहीदों के खून से सनी मिट्टी एकत्र की। इस अनुभव ने भारत की स्वतंत्रता और आजादी के लिए लड़ने के उनके दृढ़ संकल्प को मजबूत किया, जो इस उद्देश्य के प्रति उनकी अटूट प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
प्रमुख घटनाएं और प्रेरणाएं:
- जलियांवाला बाग हत्याकांड: 1919 में घटित इस घटना ने भगत सिंह के मनोबल को गहराई से प्रभावित किया।
- असहयोग आंदोलन: 1920 में महात्मा गांधी द्वारा शुरू किए गए इस आंदोलन में भगत सिंह ने भाग लिया।
- चौरी चौरा कांड: 1922 में इस घटना के बाद गांधीजी ने असहयोग आंदोलन वापस ले लिया, जिससे भगत सिंह निराश हुए।
क्रांतिकारी गतिविधियां और संगठन
चंद्रशेखर आज़ाद और दूसरे स्वतंत्रता सेनानियों से संपर्क बनाने के बाद, भगत सिंह हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन (HSRA) के सदस्य बन गए। उन्होंने 1928 में लाला लाजपत राय की मौत का बदला लेने के लिए लाहौर में ब्रिटिश पुलिस अधिकारी जॉन सॉन्डर्स की हत्या की योजना बनाई और सफलतापूर्वक मिशन को अंजाम दिया।
महत्वपूर्ण क्रांतिकारी घटनाएं:
- लाला लाजपत राय की मौत का बदला: 1928 में, सॉन्डर्स की हत्या करके।
- काकोरी कांड: 1925 में ब्रिटिश सरकार का खजाना लूटने की योजना।
- हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन: इस संगठन में सक्रिय भागीदारी।
असेंबली में बम फेंकना
असेंबली में हुई बमबारी की घटना भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन की समयरेखा में एक महत्वपूर्ण क्षण थी। 8 अप्रैल 1929 को, भगत सिंह और बटुकेश्वर दत्त ने दमनकारी ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन के खिलाफ विरोध के रूप में दिल्ली में सेंट्रल असेंबली हॉल के अंदर एक बम विस्फोट किया। इस कृत्य के पीछे का उद्देश्य नुकसान पहुंचाना नहीं था, बल्कि ब्रिटिश सरकार के प्रति भारतीय जनता की शिकायतों और कुंठाओं की ओर ध्यान आकर्षित करना था। इस साहसिक और साहसी कार्रवाई ने अन्यायपूर्ण औपनिवेशिक शासन के खिलाफ प्रतिरोध और अवज्ञा का एक शक्तिशाली प्रदर्शन किया।
असेंबली बम कांड के मुख्य बिंदु:
- तारीख: 8 अप्रैल 1929
- स्थान: दिल्ली असेंबली
- साथी: बटुकेश्वर दत्त
- उद्देश्य: ब्रिटिश सरकार का ध्यान आकर्षित करना, किसी को नुकसान पहुंचाना नहीं।
गिरफ्तारी, मुकदमा और फांसी
भगत सिंह, राजगुरु, और सुखदेव को गिरफ्तार कर लिया गया और उन पर मुकदमा चलाया गया। 7 अक्टूबर 1930 को उन्हें फांसी की सजा सुनाई गई। 23 मार्च 1931 को, उन्हें और उनके साथियों को लाहौर जेल में फांसी दे दी गई।
फांसी की सजा के मुख्य बिंदु:
- तारीख: 23 मार्च 1931
- सहयोगी: राजगुरु और सुखदेव
- स्थान: लाहौर जेल
भगत सिंह के विचार और विरासत
भगत सिंह ने अपने विचारों को "मैं नास्तिक क्यों हूँ" जैसी किताबों में व्यक्त किया। उनके विचार और उनके साहस ने स्वतंत्रता संग्राम में अनेकों युवाओं को प्रेरित किया। उनकी शहादत आज भी हर साल 23 मार्च को शहीद दिवस के रूप में मनाई जाती है, और उन्हें हमेशा एक नायक के रूप में याद किया जाता है।
भगत सिंह के अनमोल विचार:
- "व्यक्तियों को कुचल कर, वे विचारों को नहीं मार सकते।"
- "मैं एक मानव हूं और जो कुछ भी मानवता को प्रभावित करता है, उससे मुझे मतलब है।"
- "मेरा धर्म सिर्फ देश की सेवा करना है।"
- "महान साम्राज्य ध्वंस हो जाते हैं पर विचार जिंदा रहते हैं।"
- "कानून की पवित्रता तभी तक बनी रह सकती है जब तक वो लोगों की इच्छा की अभिव्यक्ति करे।"
- "बहरों को सुनाने के लिए धमाके की जरूरत होती है।"
- "जो भी विकास के लिए खड़ा है, उसे हर चीज की आलोचना करनी होगी, उसमें अविश्वास करना होगा और उसे चुनौती देना होगा।"
- "राख का हर कण मेरी गर्मी से गतिमान है। मैं एक ऐसा पागल हूं, जो जेल में भी आजाद है।"
भगत सिंह के जीवन से महत्वपूर्ण सीखें:
- देशभक्ति और बलिदान: देश के प्रति असीम प्रेम और स्वतंत्रता के लिए बलिदान।
- क्रांतिकारी विचार: अपने विचारों को प्रकट करने का साहस।
- साहस और धैर्य: कठिन परिस्थितियों में भी साहस बनाए रखना।
भारत , भगत सिंह के अविश्वसनीय साहस और निस्वार्थता के लिए हमेशा उनका आभारी रहेगा। उनकी विरासत हम सभी के लिए प्रेरणा का स्रोत बनी हुई है, जो हमें अपने देश के लिए समर्पण और बलिदान के महत्व की याद दिलाती है। उनके शक्तिशाली संदेश और कार्य हमारे दिलों में समाए हुए हैं, जो हमें अपने देश के प्रति अपनी ज़िम्मेदारियों को पूरा करने के लिए प्रेरित करते हैं।
